महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरी के बयान पर अखाड़ा परिषद क्यों नाराज हुआ?

 


अयोध्या में पांच अगस्त को प्रस्तावित राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम में न बुलाये जाने पर जूना अखाड़े के दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि के बयान पर साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी महाराज ने कहा है कि इस मामले में वे जूना अखाड़े के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी महाराज से बात करेंगे और अखाड़ा परिषद की आगामी बैठक में उनके खिलाफ प्रस्ताव पास कराकर कड़ी कार्रवाई करेंगे। दरअसल राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने पर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि ने नाराजगी जताते हुए इसे दलितों की उपेक्षा करार दिया है। उन्होंने कहा है कि पहले मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में किसी दलित को जगह नहीं दी गई और उसके बाद अब भूमि पूजन समारोह में भी इस समुदाय की उपेक्षा की जा रही है। उनका कहना है कि भगवान राम ने हमेशा पिछड़ों और उपेक्षितों की मदद कर उनका उद्धार किया। लेकिन राम के नाम पर सत्ता में बैठे लोग दलित समुदाय के साथ भेदभाव कर रहे हैं। उनके इस बयान से न केवल साधु संतों के बीच कोहराम मचा हुआ है। बल्कि इसको लेकर सियासी घमासान भी तेज हो गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि के समर्थन में ट्वीट कर चुकी है। महंत नरेन्द्र गिरी महाराज ने कहा है कि स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं और उन्हें साधु संतों को जातियों में बांटने की बात कतई नहीं करनी चाहिए। सन्यास परम्परा में आने के बाद साधु संतों की कोई जाति नहीं होती है। क्योंकि सन्यास लेने के बाद जाति समाप्त हो जाती है और नया नामकरण भी कर दिया जाता है। उन्होंने कहा है कि स्वामी कन्हैया प्रभु नंदन गिरि को अपना बयान वापस ले लेना चाहिए। वहीं दूसरी ओर अयोध्या में पांच अगस्त को श्रीराम जन्म भूमि पर होने जा रहे शिलान्यास और भूमि पूजन कार्यक्रम को लेकर साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने साधु संतों और देश वासियों से उत्सव मनाने की अपील की है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी महाराज ने कहा है कि पांच अगस्त का दिन ऐतिहासिक है और देश वासियों के लिए यह खुशहाली का भी दिन है। क्योंकि पांच सौ वर्षों के कठिन संघर्षों के बाद ये शुभ दिन आया है और हम सभी लोग भाग्यशाली हैं जो इस दिन के गवाह बन रहे हैं।


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